प्रश्न: एनल फिस्टुला के इलाज के लिए सही डॉक्टर कैसे खोजें? कैसे सुनिश्चित करें कि मैं झोलाछाप डॉक्टर से ऑपरेशन न करवाऊं?

एनल फिस्टुला का इलाज पूरे देश में उपलब्ध है। हालांकि कुछ समय पहले तक एनल फिस्टुला और बवासीर का इलाज ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा किया जाता था। अभी भी ये झोलाछाप चिकित्सक बड़े पैमाने पर, आकर्षक विज्ञापन करते हैं। 100% इलाज दर का आश्वासन देते हैं, कम शुल्क लेते हैं और न्यूनतम साइड इफेक्ट या नुकसान का आश्वासन देते हैं। इसके कारण कई लोग इन झोलाछाप डॉक्टरों के शिकार हो जाते हैं और इलाज करवाते हैं। जिससे बाद में रोगी को विभिन्न तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ये अयोग्य और कम अनुभवी स्वयंभू “बवासीर विशेषज्ञ” रोगियों को उनके नैदानिक ​​अनुभव के बारे में समझाने के लिए उपचारित रोगियों के प्रशंसापत्र दिखाते हैं। यह सब एक आम आदमी के मन में बहुत भ्रम पैदा करता है। जिससे भोले भाले लोग इन झोलाछाप चिकित्सकों के चक्कर में पड़कर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं।
समझने योग्य कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली कोई भी दवा या उपचार प्रक्रिया भी शरीर को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि, तार्किक रूप से यदि दवा शरीर के अंदर जा रही है और सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए कुछ ऊतकों या अंगों को बदल रही है, तो उस दवा के हमेशा कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद आदि में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उपचारों के नकारात्मक दुष्प्रभावों की तुलना में अधिक लाभकारी प्रभाव होते हैं। यही कारण है कि ये दवाएं इतने वर्षों से उपयोग में हैं। यदि कोई प्रणाली दावा करती है कि कोई साइड इफेक्ट नहीं है तो अधिक से अधिक, हम कह सकते हैं कि नकारात्मक साइड इफेक्ट्स का अध्ययन या तो लिपिबद्ध नहीं किया गया है या अज्ञात हैं। ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों का यह दावा कि उनकी दवाओं या उनके इलाज के तरीकों का कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होगा, बिलकुल असत्य व तथ्यहीन बात है।
  2. प्रशंसापत्र: यह आमतौर पर झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा रोगियों को बरगलाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें सफलतापूर्वक इलाज किए गए रोगियों के वीडियो भी शामिल किए जाते हैं। इन प्रशंसापत्रों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए। यह समझना आवश्यक है कि फिस्टुला मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं – सरल या जटिल। लगभग दो-तिहाई गुदा से जुड़े रोग सरल होते हैं, और एक तिहाई जटिल होते हैं। साधारण फिस्टुला, जैसा कि नाम से पता चलता है, इलाज के लिए आसान है। इनमें से अधिकांश फिस्टुला प्रक्रिया की परवाह किए बिना ठीक हो जाएंगे। इसलिए, एक साधारण फिस्टुला का इलाज करने में सर्जन की विशेषज्ञता जरूरी नहीं है। कोई भी प्रक्रिया जैसे सर्जरी, क्षारसूत्र, कटिंग सेटन (धागा), VAAFT (दूरबीन), लेजर, प्लग या फ्लैप आदि इलाज के तरीकों से रोगी को बिना किसी जोखिम के सरल फिस्टुला को ठीक किया जा सकता है। जबकि, जटिल फिस्टुला का इलाज काफी सावधानीपूर्वक किया जाना जरूरी होता है। इसके इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की जरूरत होती है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि जटिल फिस्टुला बार-बार होने वाले फिस्टुला (जो एक ऑपरेशन के बाद फिर से होते हैं) या उच्च फिस्टुला होते हैं जिसमें स्फिंक्टर मांसपेशी (मांसपेशी जो आंत्र गति को नियंत्रित करती है) का एक तिहाई से अधिक (33%) शामिल होता है। ऐसे मामलो में सामान्य सर्जन द्वारा फिस्टुलोटॉमी, कटिंग सेटन, क्षारसूत्र आदि इलाज के तरीकों के अपनाने अथवा नीम-हकीम झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज कराने पर स्फिंक्टर की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने की प्रबल संभावना होती है। जिससे आप अपनी आंत्र गति पर नियंत्रण खो सकते हैं। जिससे पूरी जिंदगी आपको अपने मल त्यागने पर नियंत्रण नहीं रह सकेगा। इसलिए जरूरी है कि जटिल फिस्टुला का इलाज हमेशा एक विशेषज्ञ फिस्टुला सर्जन द्वारा किया जाना चाहिए।

जटिल फिस्टुला के झोलाछाप अथवा जनरल सर्जन से इलाज कराने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
असंयम (incontinence) : जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, यदि जनरल सर्जन या झोलाछाप चिकित्सक द्वारा जटिल फिस्टुला का इलाज किया जाता है, तो आंत्र गतियों (मल त्याग) पर नियंत्रण खोने का जोखिम बहुत अधिक होता है।

पुनरावृत्ति (recurrence) : यदि फिस्टुला का इलाज किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो एक फिस्टुला विशेषज्ञ नहीं है, तो फिस्टुला के ठीक न होने या दोबारा होने की संभावना भी बहुत अधिक (50-80%) हो जाती है।

यहां यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि झोलाछाप चिकित्सक लोगों को अपनी विशेषज्ञता के बारे में समझाने के लिए अपने द्वारा, इलाज किए गए सरल फिस्टुला के प्रशंसापत्र दिखाते हैं। आमतौर पर साधारण लोग, सरल और जटिल फिस्टुला के बीच अंतर नहीं जानते हैं और सोचते हैं कि सभी फिस्टुला समान होते हैं। वे एक साधारण फिस्टुला वाले रोगी के प्रशंसापत्र से प्रभावित हो जाते हैं और झोलाछाप के झांसे में आकर अपना इलाज करवा लेते हैं। जिससे बाद में उनकी परेशानी काफी बढ़ जाती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम किसी प्रशंसापत्र से प्रभावित न हों, बल्कि एक अनुभवी सर्जन की तलाश करने की कोशिश करें, जिसने फिस्टुला के इलाज के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य किया हो। हमारे लिए यह जानना भी बहुत आवश्यक है कि हमारा फिस्टुला सरल है या जटिल।

प्रश्न: कैसे पता करें कि मेरा फिस्टुला सरल है या जटिल?

आप जान सकते हैं कि यदि आपके पास इन तीनों में से कोई एक है तो आपका फिस्टुला जटिल है।

* आवर्तक फिस्टुला (recurrent fistula) : यदि आपका फिस्टुला पहली सर्जरी के बाद फिर से होता है, तो आपका फिस्टुला जटिल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले ऑपरेशन के बाद अधिकांश साधारण फिस्टुला ठीक हो जाते हैं।

*हाई फिस्टुला (high fistula) : यदि आपके फिस्टुला में स्फिंक्टर मांसपेशी (आंत्र गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशी) का एक तिहाई (33%) से अधिक हिस्सा शामिल है, तो यह एक जटिल फिस्टुला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे फिस्टुला के सर्जरी करते समय स्फिंक्टर की मांसपेशियों को नुकसान का जोखिम अधिक होता है।

* गर्ग वर्गीकरण ग्रेड III, IV या V (Garg classification grade III, IV or V) : गर्ग वर्गीकरण को डॉ पंकज गर्ग ने ईज़ाद किया है। आज दुनिया भर में सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है।1-4 इसे फिस्टुला के गर्ग वर्गीकरण के रूप में जाना जाता है। गर्ग वर्गीकरण के अनुसार, ग्रेड I और II फिस्टुला सरल फिस्टुला हैं। जबकि ग्रेड III, IV व V जटिल फिस्टुला हैं। इसलिए, ग्रेड III, IV और V फिस्टुला का इलाज केवल एक अनुभवी, योग्य फिस्टुला सर्जन द्वारा ही किया जाना चाहिए।

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प्रश्न: जटिल फिस्टुला के जोखिम क्या हैं?

एक जटिल फिस्टुला का मुख्य जोखिम यह है कि यदि जनरल सर्जन या नीम हकीम द्वारा इलाज किया जाता है, तो पुनरावृत्ति (फिर से होने वाला फिस्टुला) या असंयम (मल त्याग पर नियंत्रण खोना) का जोखिम बहुत अधिक होता है। इसके अलावा, प्रत्येक पुनरावृत्ति (recurrence) के बाद, फिस्टुला अधिक जटिल और इलाज के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

प्रश्न: अगर मैं अपने फिस्टुला का इलाज नहीं करूँ तो क्या होगा?

यदि फिस्टुला का समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो संभावना है कि समय के साथ यह और अधिक जटिल हो सकता है। दूसरा, फिस्टुला में किसी भी समय एक दर्दनाक फोड़ा बन सकता है, जो आपात स्थिति पैदा कर सकता है। तीसरा, कुछ वर्षों के बाद, कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि फिस्टुला का इलाज जल्द से जल्द किसी अनुभवी व विशेषज्ञ चिकित्सक से कराया जाए।

जटिल फिस्टुला होने पर मुझे क्या करना चाहिए?

सबसे पहले यह पुष्टि कर लेना जरूरी होता है कि आपका फिस्टुला जटिल है अथवा सरल। फिस्टुला कॉम्प्लेक्स बनाने वाले तीन मानदंड पहले ही सूचीबद्ध किए गए हैं (आवर्तक फिस्टुला, उच्च फिस्टुला, और गर्ग ग्रेड 3,4 और 5 फिस्टुला)। एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है कि आपका फिस्टुला जटिल है, तो यह जरूरी है कि आप फिस्टुला विशेषज्ञ सर्जन की तलाश करें। डॉ. पंकज गर्ग एक विश्व-प्रसिद्ध फिस्टुला सर्जन हैं, जिन्होंने दुनिया भर में एनल फिस्टुला के क्षेत्र में काफी काम किया है। उनके, इस विषय पर 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र हैं। उन्होंने 41 देशों के ऐसे जटिल फिस्टुला रोगियों का इलाज किया है जो ठीक नहीं हो रहे थे। उन्हें प्रसिद्ध अमेरिकी एजेंसी, एक्सपर्टस्केप (https://www.expertscape.com/ex/rectal+fistula/c/asi)
द्वारा नंबर एक फिस्टुला विशेषज्ञ का दर्जा दिया गया है।

अगर मेरे पास एक साधारण फिस्टुला है तो मुझे क्या करना चाहिए?

यदि आपके पास एक साधारण फिस्टुला है, तो जोखिम, जटिल फिस्टुला से कुछ कम जरूर है। लेकिन फिर भी, इसे फिस्टुला विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा इलाज कराने का ही प्रयास करें। क्योंकि यदि एक साधारण फिस्टुला को उचित रूप से इलाज नहीं किया जाता है, तो यह आगे चलकर जटिल फिस्टुला का रूप ले सकता है। जैसा कि चर्चा की गई है, जटिल फिस्टुला का इलाज करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

एनल फिस्टुला क्या है?

एनल फिस्टुला एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा या मलाशय और नितंबों में या गुदा के आसपास की त्वचा के बीच असामान्य संचार (कनेक्शन / ट्रैक्ट / ट्यूब) होता है। गुदा के अंदर के मार्ग/ट्यूब के खुलने को आंतरिक उद्घाटन (internal opening) के रूप में जाना जाता है, और गुदा के आसपास की त्वचा में पथ/ट्यूब के खुलने को बाहरी उद्घाटन (external opening) के रूप में जाना जाता है। फिस्टुला का मुख्य लक्षण गुदा के आसपास की त्वचा में एक छिद्र से मवाद का लगातार आना है।

गुदा फोड़ा ( एनल एब्ससेस) क्या है? यह फिस्टुला से किस प्रकार भिन्न है?

जब किसी कारण से गुदा के आसपास की त्वचा में बाहरी छिद्र अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाता है, तो मवाद, फिस्टुला ट्रैक्ट (ट्यूब) में जमा हो जाता है। मवाद के इस जटिल संग्रह को फोड़ा (एब्ससेस) कहा जाता है। फोड़ा (एब्ससेस) संभावित रूप से सूजन और मध्यम से गंभीर दर्द का कारण बनता है। यह बुखार का कारण भी बन सकता है और यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो यह सेप्टीसीमिया (पूरे शरीर में रक्त में संक्रमण का प्रसार), सदमा (रक्तचाप में गंभीर गिरावट) और यहां तक ​​कि मृत्यु का कारण बन सकता है। फोड़ा (एब्ससेस) का बनना चिकित्सा विज्ञान में एक आपात स्थिति है। इसका तुरंत विशेषज्ञ सर्जन द्वारा इलाज किया जाना चाहिए।

गुदा फोड़ा (एनल एब्सेस) का इलाज क्या है? क्या फोड़ा और फिस्टुला का इलाज एक ही ऑपरेशन से किया जा सकता है?

गुदा फोड़ा (एनल एब्सेस) एक आपातकालीन स्थिति है और इसमें फोड़े से मवाद की तत्काल निकासी की आवश्यकता होती है। यदि पेरिएनल त्वचा में फोड़ा अपने आप फट जाए तो बिना किसी सर्जरी के मवाद की निकासी हो जाती है। हालांकि, अगर फोड़ा नहीं फटता है तो इसे सर्जरी की प्रक्रिया से निकालना पड़ता है। इसे चीरा और निकासी (I&D) प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है। मवाद की निकासी के बाद यदि फिस्टुला बनता है, तो बाद में सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है। परंपरागत शिक्षण में यही बताया जाता रहा है कि फोड़े (एब्सेस) से, पहले मवाद निकालने की आवश्यकता होती है, और बाद में फिस्टुला की सर्जरी की जाती है। हालांकि, अब डॉ. गर्ग ने ऐसी प्रक्रियाएं और प्रोटोकॉल विकसित कर लिए हैं जिनमें ज्यादातर मामलों में पहले ऑपरेशन में ही फोड़ा(एब्सेस) और फिस्टुला का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है।1-3 बाद की सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यह अपने आप में एक एतिहासिक कदम है। क्योंकि यह फोड़े (एब्सेस) वाले कई रोगियों में दूसरी सर्जरी को रोकता है। उन्हें दुबारा सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। एक बार में ही वे स्वस्थ हो जाते हैं।

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फिस्टुला के लक्षण क्या हैं?

फिस्टुला का मुख्य लक्षण गुदा के आसपास की त्वचा में छिद्र (बाहरी छिद्र /external opening ) से मवाद का निकलना है। मवाद का स्राव अलग अलग रोगियों और अलग अलग फिस्टुला में अलग अलग हो सकता है। फिस्टुला से डिस्चार्ज (मवाद का निकलना) साल में एक बार या महीने या सप्ताह में एक बार या दिन में कई बार हो सकता है। सामान्यतः मवाद स्राव की आवृत्ति (frequency) का फिस्टुला की जटिलता के साथ कोई संबंध नही होता है। एक साधारण फिस्टुला से प्रचुर मात्रा में डिस्चार्ज हो सकता है, जबकि एक जटिल फिस्टुला से थोड़ा पस डिस्चार्ज हो सकता है। लेकिन आमतौर पर, डिस्चार्ज की मात्रा फिस्टुला जटिलता से संबंधित होती है। फिस्टुला का दूसरा आम लक्षण गुदा क्षेत्र के आसपास दर्द और सूजन है। यह आमतौर पर तब होता है जब बाहरी छिद्र से मवाद निकलना बंद हो जाता है और फोड़ा बन जाता है। यह एक चिकित्सकीय आपात स्थिति बन जाती है और इसका तत्काल इलाज किया जाना जरूरी होता है। यदि मवाद बाहर निकलता रहता है, तो आमतौर पर फिस्टुला में ज्यादा दर्द नहीं होता है। यह समझना भी जरूरी है कि दर्द की कमी फिस्टुला से जुड़े जोखिम और खतरे को कम नहीं करती है। लंबे समय तक चलने वाले मामलों में, फिस्टुला ट्रैक्ट में कैंसर बनने का खतरा होता है। फिस्टुला ट्रैक्ट में खतरनाक प्रकार की कैंसर (म्यूसिनस एडेनोकार्सिनोमा) होने की संभावना बनी रहती है।

फिस्टुला की पहचान कैसे की जाती है?

फिस्टुला की पहचान ज्यादातर लक्षणों और डॉक्टर द्वारा सामान्य जांच के आधार पर किया जाता है। गुदा के आसपास की त्वचा से मवाद निकलने का आवर्ती लक्षण आमतौर पर केवल फिस्टुला में होता है। जांच करने पर, डॉक्टर त्वचा में बाहरी छिद्र से गुदा तक फिस्टुला ट्रैक्ट (संचार नली) को महसूस कर सकते हैं। मलाशय जांच (गुदा के अंदर एक उंगली डालने) पर, एक अनुभवी सर्जन भी गुदा के अंदर फिस्टुला के आंतरिक छिद्र को महसूस कर सकता है। इसके अलावा फिस्टुला की पुष्टि एमआरआई, अल्ट्रासाउंड (ट्रांसरेक्टल या पेरिनेल), या एक्स-रे फिस्टुलोग्राम द्वारा की जा सकती है।

फिस्टुला के लिए कौन से रेडियोलॉजिकल परीक्षण हैं? वे कैसे मदद करते हैं?

फिस्टुला की पुष्टि के लिए तीन मुख्य रेडियोलॉजिकल परीक्षण एमआरआई (चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग), अल्ट्रासाउंड (ट्रांसरेक्टल या पेरिनेल) या एक्स-रे फिस्टुलोग्राम किए जाते हैं। ये परीक्षण फिस्टुला की पुष्टि करने में मदद करते हैं।

एमआरआई-फिस्टुलोग्राम: यह फिस्टुला के लिए सबसे कारगर परीक्षण है। यह फिस्टुला के बारे में बहुत सारी जानकारी देता है, जिसे सिर्फ शारीरिक जांच से जानना संभव नहीं है। एमआरआई ऐसे फिस्टुला की भी पुष्टि कर सकता है जहां इसकी उपस्थिति संदिग्ध है, खासकर जब फिस्टुला छोटा है या न्यूनतम लक्षण पैदा करता हो।

आंतरिक छिद्र का स्थान: एमआरआई फिस्टुला के आंतरिक छिद्र (internal opening) का स्थान दिखाता है, जिसका बंद होना सफल इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

फिस्टुला शाखाओं की संख्या: एमआरआई फिस्टुला शाखाओं (ट्रैक्ट्स) की संख्या को दर्शाता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर एक शाखा को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो भी फिस्टुला फिर से आ सकता है।

स्फिंक्टर की मांसपेशियों की भागीदारी की मात्रा/सीमा और सटीक स्थान: एमआरआई स्फिंक्टर मांसपेशी (मांसपेशी जो आंत्र गति को नियंत्रित करने में मदद करती है) की सीमा और सटीक स्थान दिखाती है। यह जानकारी आवश्यक है क्योंकि यदि सर्जन फिस्टुला में शामिल स्फिंक्टर की मांसपेशियों की सीमा और स्थान के बारे में सुनिश्चित नहीं है, तो वह स्फिंक्टर की मांसपेशी को काट या क्षतिग्रस्त कर सकता है। यह असंयम (मल त्याग पर नियंत्रण नहीं) का कारण बन सकता है, जो एक बहुत ही गंभीर जटिलता है।

फिस्टुला की गहराई:
यह एमआरआई द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में, फिस्टुला की गहराई का आकलन शारीरिक परीक्षण में संभव नहीं हो पाता है। यही कारण है कि एमआरआई तकनीक के आने से फिस्टुला के सफल उपचार में तेजी से वृद्धि हुई है। हालांकि यह जरूरी है कि उपचार करने वाले सर्जन स्वयं MRI रिपोर्ट को पढ़ें और उसकी अपने स्तर से व्याख्या करें। केवल रेडियोलॉजिस्ट की MRI रिपोर्ट को पढ़कर ही ऑपरेशन न करें। बल्कि बेहतर है ऑपरेशन करने वाला सर्जन स्वयं एमआरआई सीडी या फिल्में पढ़कर सीधे अपने दिमाग में एक त्रि-आयामी फिस्टुला छवि बनाए क्योंकि उसे ही ऑपरेशन करना है। इसलिए, यह उचित है कि सर्जन के दिमाग में त्रि-आयामी फिस्टुला छवि यथासंभव सटीक हो। इस सटीकता में कोई भी विसंगति फिस्टुला पुनरावृत्ति को जन्म दे सकती है।

एमआरआई कंट्रास्ट: कंट्रास्ट एक तरह की दवा है जो एमआरआई करते समय मरीज की नस में इंजेक्ट की जाती है। ऐसे में एमआरआई पर कंट्रास्ट दवा चमकीली दिखती है। इसलिए, कंट्रास्ट दवा रक्त के माध्यम से गुदा क्षेत्र में जाती है और अधिक रक्त आपूर्ति वाले क्षेत्र को चमकीला करती है। इससे कुछ प्रकार के ऊतकों की पहचान करना बहुत आसान हो जाता है। लेकिन विश्व के प्रख्यात फिस्टुला रोग विशेषज्ञ डा. पंकज गर्ग का मानना है कि ज्यादातर मामलों में कंट्रास्ट की आवश्यकता नहीं होती है। कंट्रास्ट के बिना भी एक अच्छी गुणवत्ता वाली एमआरआई सभी प्रकार के फिस्टुला के बारे में आवश्यक सभी जानकारी देती है। बहुत दुर्लभ मामलों में ही कंट्रास्ट पद्धति से एमआरआई की जरूरत पड़ती है।

अल्ट्रासाउंड: अमूमन अल्ट्रासाउंड एमआरआई द्वारा प्रदान होने वाली सभी जानकारी देता है। लेकिन हाल के कई अध्ययनों से पता चला है कि अल्ट्रासाउंड एमआरआई से थोड़ा कम है। अल्ट्रासाउंड दो प्रकार का होता है: ट्रांसरेक्टल ( इसमें प्रोब को गुदा के अंदर डालकर अल्ट्रासाउंड की जाती है। जिससे यह मरीज के लिए थोड़ा असहज होता है) और ट्रांसपेरिनियल (इसमें अल्ट्रासाउंड प्रोब को पेरिनियल त्वचा पर बाहर रखा जाता है और गुदा के अंदर नहीं डाला जाता है)। अल्ट्रासाउंड का मुख्य दोष यह है कि यह ऑपरेटर-निर्भर है (अल्ट्रासाउंड से प्राप्त जानकारी पूरी तरह से अल्ट्रासाऊंड करने वाले डॉक्टर पर निर्भर करती है)। अल्ट्रासाउंड फिल्में या सीडी व्यावहारिक रूप से किसी अन्य डॉक्टर या ऑपरेटिंग सर्जन के लिए उपयोगी नहीं हैं क्योंकि वे फिल्मों से ज्यादा जानकारी नहीं निकाल सकते हैं। यह एमआरआई के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें ऑपरेटिंग सर्जन, रिपोर्टिंग रेडियोलॉजिस्ट के बराबर सीडी या फिल्मों से सौ फ़ीसदी जानकारी निकाल सकता है। इसलिए, एमआरआई अल्ट्रासाउंड की तुलना में कहीं अधिक मूल्यवान है क्योंकि एक बार आपके पास एमआरआई की सीडी होने के बाद, आप किसी भी फिस्टुला विशेषज्ञ सर्जन के पास जा सकते हैं, और एमआरआई दोहराया नहीं जाएगा। फिस्टुला विशेषज्ञ सीडी से सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकता है। यह उल्लेख करना उचित है कि एमआरआई सीडी एमआरआई फिल्मों की तुलना में कहीं बेहतर है। क्योंकि सीडी में, एमआरआई फिल्मों के विपरीत, प्रत्येक छवि पूर्ण आकार (कंप्यूटर स्क्रीन की) होती है। इसलिए ज्यादातर फिस्टुला विशेषज्ञ एमआरआई सीडी का विस्तार से अध्ययन करने के बाद ही काम करते हैं।
एक्स-रे फिस्टुलोग्राम:
इसमें एक्स-रे पर चमकीली दिखने वाली डाई को एक्स-रे करते समय गुदा के चारों ओर के बाहरी छिद्र के माध्यम से फिस्टुला में इंजेक्ट किया जाता है। हालांकि अब यह पद्धति चलन में नहीं है। यह परीक्षण मुख्य रूप से तीन दशक पहले किया जाता था जब कोई एमआरआई या अल्ट्रासाउंड तकनीक उपलब्ध नहीं थी। लेकिन अब, एमआरआई या अल्ट्रासाउंड की उपलब्धता के साथ, एक्स-रे फिस्टुलोग्राम एक अप्रचलित परीक्षण है और इसे नहीं किया जाना चाहिए।

फिस्टुला के एमआरआई में डॉ. पंकज गर्ग की विशेषज्ञता का स्तर क्या है?

वैश्विक स्तर पर एमआरआई-एनल फिस्टुला के क्षेत्र में डॉ. पंकज गर्ग का उल्लेखनीय योगदान रहा है। डॉ. गर्ग फिस्टुला के एमआरआई के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञ हैं। उन्होंने दुनिया में एनल फिस्टुला में एमआरआई की सबसे बड़ी श्रृंखला प्रकाशित की है।1-3
उन्होंने एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद एमआरआई की व्याख्या पर रेडियोलॉजिस्ट के लिए खुद के अनुसंधान (research) के आधार पर दिशानिर्देश (guidelines) बनाए हैं।4 उनके नाम पर एमआरआई-एनल फिस्टुला में कई महत्वपूर्ण खोज दर्ज हैं। उनके खोज को यूएसए के शीर्ष रेडियोलॉजी पत्रिकाओं में भी प्रकाशित किया गया है।5,6,7,8 उन्होंने एक नया स्कोरिंग सिस्टम भी प्रकाशित किया है – गर्ग स्कोरिंग सिस्टम- जो लंबे समय तक उपचारित होने वाले फिस्टुला उपचार की सटीक भविष्यवाणी करता है।9 डॉ. गर्ग के इस शोध को टाम्पा, फ्लोरिडा, यूएसए में 2022 में आयोजित अमेरिकन सोसाइटी ऑफ कोलन एंड रेक्टल सर्जन (एएससीआरएस) के वार्षिक सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ पेपर में पोडियम प्रस्तुति के लिए चुना गया था।10
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फिस्टुला का इलाज कैसे किया जाता है?

फिस्टूला का उपचार मुख्य रूप से सर्जरी है। चूंकि फिस्टुला गुदा/मलाशय(Anus) और बाहरी त्वचा के बीच एक असामान्य संबंध है, इसलिए इसे दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं फिस्टुला के लक्षणों (मवाद स्राव) को तात्कालिक तौर पर कम कर सकती हैं। लेकिन यह राहत अस्थायी है। इसके अलावा, एंटीबायोटिक्स को लंबे समय तक नहीं लिया जा सकता है और न ही लेना चाहिए। क्योंकि वे दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं। साथ ही संक्रमित बैक्टीरिया द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोध विकसित करने का खतरा होता है। अगर ऐसा होता है, तो ये एंटीबायोटिक्स भविष्य में उन बैक्टीरिया के खिलाफ अप्रभावी हो जाएंगे। बहुत सारे मरीज हमसे यह सवाल पूछते हैं कि क्या होम्योपैथी और आयुर्वेद जैसी दवाओं की वैकल्पिक प्रणाली में ऐसी दवाएं हैं जो बिना सर्जरी के फिस्टुला को ठीक कर सकती हैं। दुनिया भर से हजारों फिस्टुला रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज करने के बाद, हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि ऐसी कोई दवा नहीं है जो किसी भी चिकित्सा प्रणाली में फिस्टुला को ठीक कर सके। जैसे एलोपैथी (आधुनिक) चिकित्सा पद्धति में एंटीबायोटिक हैं, वैसे ही होम्योपैथी, युनानी और आयुर्वेद प्रणालियों में एंटीबायोटिक दवाएं हैं। इसलिए, इन प्रणालियों के एंटीबायोटिक्स (होम्योपैथी, युनानी और आयुर्वेद प्रणाली) भी एलोपैथिक एंटीबायोटिक्स जैसे फिस्टुला के लक्षणों में अस्थायी राहत प्रदान करते हैं। लेकिन, एलोपैथिक एंटीबायोटिक्स की तरह ही राहत कुछ महीनों तक ही रहती है और फिर एंटीबायोटिक्स लेने के बावजूद फिस्टुला फैलने लगता है। हमने अभी तक फिस्टुला का एक भी ऐसा रोगी नहीं देखा है, जो सोशल मीडिया और विज्ञापनों पर किए जा रहे फर्जी दावों के बावजूद इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों (होम्योपैथी, युनानी और आयुर्वेद प्रणालियों) की दवाओं से स्थायी रूप से ठीक हो गया हो। बहरहाल, डॉ. पंकज गर्ग, दवाओं के साथ (बिना सर्जरी की आवश्यकता के) फिस्टुला के उपचार की प्रणाली को विकसित करने के लिए गंभीर रूप से काम कर रहे हैं। दुनिया में पहली बार, डॉ. गर्ग द्वारा एक उपचार अवधारणा विकसित की जा रही है, जिसने यह प्रदर्शित किया है कि कुछ प्रकार के फिस्टुला का इलाज दवाओं (बिना सर्जरी के) द्वारा किया जा सकता है।

क्या बिना सर्जरी के एनल फिस्टुला का इलाज संभव है?

डॉ. पंकज गर्ग दवाओं के साथ (बिना सर्जरी के) फिस्टुला के उपचार को विकसित करने के लिए शिद्दत से प्रयास कर रहे हैं। दुनिया में पहली बार, डॉ. गर्ग द्वारा एक उपचार अवधारणा विकसित की गई है, जिसमें दिखाया गया है कि फिस्टुला के एक खास प्रकार का इलाज दवाओं (सर्जरी के बिना) से किया जा सकता है। हालांकि, केवल कुछ फिस्टुला रोगियों का इलाज बिना सर्जरी के किया जा सकता है। और यह तय करने के लिए सावधानीपूर्वक विस्तृत मूल्यांकन किया जाता है कि पीड़ित व्यक्ति इस श्रेणी में फिट बैठता है या नहीं। बहरहाल, यह एक बड़ा कदम है कि डॉ. पंकज गर्ग के अनुसंधान के कारण फिस्टुला (केवल दवाओं के साथ) का गैर-सर्जिकल उपचार शुरू किया जा सका है।1 संभव है कि एक दिन डा गर्ग का प्रयास रंग लाए व सभी तरह के फिस्टुला का इलाज बिना सर्जरी के ही दवाओं से किया जा सके। क्योंकि डा गर्ग ने कलांतर में ऐसे कई चमत्कारिक अनुसंधान किए हैं। जिनका लोहा देश ही नहीं अपितु विदेशों के चिकित्सक भी मानते हैं।

References

  1. Garg P, Dawka S, Kaur B, Yagnik VD. Conservative (non-surgical) management of cryptoglandular anal fistulas: is it possible? A new insight and direction. ANZ J Surg 2022; 92(5): 1284-1285 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

प्रश्न: एनल फिस्टुला कैसे होता है?

अधिकांश फिस्टुला एनोरेक्टल फोड़े (एब्सैस) के रूप में शुरू होते हैं। जब फोड़ा गुदा नली में अनायास खुल जाता है या फट जाता है (या शल्य चिकित्सा द्वारा खोला जाता है), तो यह फिस्टुला होने की संभावना बन जाती है। पेरिअनल फोड़े के लगभग 8-50% रोगियों में एनल फिस्टुला होता है। फिस्टुला के अन्य कारणों में टीबी , कैंसर, चोट (आघात), क्रोहन रोग, विकिरण चिकित्सा(radiation therapy), गुदा विदर (Anal fissure) और संक्रमण (एक्टिनोमाइकोस, क्लैमाइडियल, आदि) शामिल हैं। फिस्टुला एक या एक से ज्यादा भी हो सकता है।

प्रश्न: एनल फिस्टुला के प्रकार क्या हैं?

मोटे तौर पर 4 प्रकार के एनल फिस्टुला होते हैं:

इंटरस्फिंक्टेरिक- फिस्टुला ट्रैक्ट दो स्फिंक्टर्स के बीच से 64% गुजरता है
ट्रांस-स्फिंक्टेरिक- फिस्टुला ट्रैक्ट दो स्फिंक्टर्स को 30% पार कर जाता है।
Submucosal- फिस्टुला ट्रैक्ट स्फिंक्टर्स और गुदा/मलाशय के म्यूकोसा के बीच से 5% गुजरता है।
एक्स्ट्रास्फिंक्टेरिक- फिस्टुला ट्रैक्ट स्फिंक्टर से एक फीसद आगे निकल जाता है।

हालांकि व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो फिस्टुला 2 प्रकार के होते हैं- निम्न और उच्च।
निम्न फिस्टुला निचले हिस्से में मौजूद होते हैं और एनोरेक्टल स्लिंग (मांसपेशियों की परत जो निरंतरता के लिए जिम्मेदार होती है)
तक नहीं फैले होते हैं। उच्च फिस्टुला एनोरेक्टल स्लिंग तक या उससे आगे तक फैले होते हैं। फिस्टुला के प्रकार को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि उच्च फिस्टुला का अगर ठीक से इलाज नहीं किया गया तो यह काफी घातक हो सकता है। ऐसे फिस्टुला का इलाज अगर विशेषज्ञ चिकित्सक से नहीं कराया जाता है तो रोगी मल त्याग पर नियंत्रण खो देता है।

डॉ. पंकज गर्ग द्वारा फिस्टुला के इलाज का सफलता दर आश्चर्यजनक रूप से काफी ज्यादा क्यों है? इसके क्या कारण हैं?

डॉ गर्ग द्वारा सरल अथवा जटिल फिस्टुला के लिए उच्च इलाज दर के कई कारण हैं।
अनुसंधान(research) : डॉ. गर्ग 15 वर्षों से अधिक समय से इस क्षेत्र में व्यापक शोध कर रहे हैं। कड़ी मेहनत व केवल एक क्षेत्र (फिस्टुला) पर ध्यान केंद्रित करने के अपने निर्णय और लीक से हटकर सोच के कारण, उन्होंने इस क्षेत्र में कई नई पथप्रदर्शक उपचार प्रक्रियाओं और अवधारणाओं का आविष्कार किया है। डा. गर्ग के अनुसंधान की सबसे बड़ी खासियत होती है कि उनके शोध सरल व प्रभावी होते हैं। इनके द्वारा फिस्टुला सर्जरी के बहुत कम दर्दनाक और कम से कम चीरा लगाने जैसे तरीके ईजाद किए गए हैं। डॉ. गर्ग ने हाल ही में कठिन अनुसंधान के बाद ज्यादा जटिल फिस्टुला के इलाज के लिए ट्रॉपिस (Tropis)प्रक्रिया का खोज किया है। यह उच्च व जटिल फिस्टुला के लिए न्यूनतम चीरा लगाने वाला उपचार है और इसे दुनिया भर में जटिल फिस्टुला के लिए सबसे प्रभावी इलाज माना जा रहा है।1 सबसे बड़ी बात है कि इस प्रक्रिया में स्फिंक्टर को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचाए बिना जटिल फिस्टुला का इलाज किया जाता है।

डॉ गर्ग द्वारा विकसित किया गया गर्ग वर्गीकरण (Garg Classification) दुनिया भर के फिस्टुला सर्जनों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि डा. गर्ग द्वारा विकसित किए गए इस वर्गीकरण से ऑपरेटिंग सर्जनों को चिकित्सा करने में काफी सहूलियत होती है।2
इसी तरह, डॉ गर्ग द्वारा आविष्कार किए गए गर्ग प्रोटोकॉल ने सर्जनों को यह रास्ता दिखाया है कि कैसे गंभीर से गंभीर फिस्टुला का इलाज और बेहतर तरीके से किया जाए खासकर उन मामलों में जिनमें आंतरिक छिद्र का आसानी से पता नहीं लग पाता है।3 ऐसे मामलों में गर्ग प्रोटोकॉल काफी कारगर साबित हो रहा है।
गर्ग प्रोटोकॉल से पहले, बार बार होने वाले फिस्टुला के इलाज के लिए कोई भी मानक अथवा दिशानिर्देश नहीं होने से चिकित्सकों को इलाज करने में काफी परेशानी होती थी। डॉ. गर्ग ने गर्ग स्कोरिंग सिस्टम भी तैयार किया है। जिसकी गणना प्रारंभिक पोस्टऑपरेटिव अवधि (सर्जरी के तीन महीने बाद) में की जाती है, जो लंबी अवधि (long term) में फिस्टुला उपचार की सटीक भविष्यवाणी कर सकती है।4 वास्तव में, डॉ गर्ग ने इस क्षेत्र में दुनिया भर में सबसे ज्यादा अनुसंधान किए हैं।

एमआरआई में विशेषज्ञता: कई पथप्रदर्शक अनुसंधानों के अलावा, डॉ गर्ग ने एनल फिस्टुला के एमआरआई में भी पूरे विश्व में मुकाम कायम किया हैं। इस संदर्भ में इंटरनेट पर भी उनके बारे में कई विश्वसनीय दस्तावेज उपलब्ध हैं।

फिस्टुला के उपचार में आज पूरी दुनिया में डा गर्ग का अग्रणी स्थान है। यही कारण है कि दुनिया भर के रोगियों को जटिल और बार-बार होने वाले फिस्टुला के बेहतर उपचार के लिए डॉ गर्ग के पास भेजा जाता है। डॉ गर्ग ने 41 देशों (यूएसए सहित) के सैकड़ों रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। पिछले पांच वर्षों में यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका और मध्य-पूर्व के देशों के सैकड़ों रोगियों का डा. गर्ग ने सफलता पूर्वक इलाज किया है। इसके अलावा पूरी दुनिया में पहली बार डा. गर्ग द्वारा फिस्टुला अनुसंधान संस्थान, गर्ग फिस्टुला रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीएफआरआई – GFRI) की स्थापना उत्तर भारत के पंचकुला शहर में की गई है।5

फॉलोअप : गर्ग फिस्टुला रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीएफआरआई) में रोगियों का न केवल तत्काल इलाज बल्कि सर्जरी के बाद के वर्षों और दशकों तक भी बहुत सावधानी से फॉलोअप किया जाता है।
References

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  2. Garg P. Garg Classification for Anal Fistulas: Is It Better than Existing Classifications?—a Review. Indian Journal of Surgery 2018; 80(6): 606-608 ( Click here for DOI )
  3. Garg P, Kaur B, Singla K, Menon GR, Yagnik VD. A Simple Protocol to Effectively Manage Anal Fistulas with No Obvious Internal Opening. Clin Exp Gastroenterol 2021; 14: 33-44 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )
  4. Garg P, Yagnik VD, Dawka S, Kaur B, Menon GR. A Novel MRI and Clinical-Based Scoring System to Assess Post-Surgery Healing and to Predict Long-Term Healing in Cryptoglandular Anal Fistulas. Clin Exp Gastroenterol 2022; 15: 27-40 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )
  1. Garg Fistula Research Institute.

फिस्टुला के इलाज के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं क्या हैं?

फिस्टुला के इलाज के लिए कई शल्य प्रक्रियाएं हैं। हालांकि अभी तक कोई स्थापित मानक प्रक्रिया नहीं है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में अधिक सक्रिय शोध की आवश्यकता है। डॉ. गर्ग पथ प्रदर्शक हैं और उन्होंने वैश्विक स्तर पर फिस्टुला के क्षेत्र में सबसे अग्रणी कार्य किया है। जटिल फिस्टुला के इलाज के लिए दुनिया भर में डा. गर्ग को सबसे विश्वसनीय चिकित्सक माना जाता है।
बहरहाल सामान्य तौर पर फिस्टुला के इलाज के लिए निम्नलिखित तरीके उपलब्ध हैं: –

  • *फिस्टुलोटॉमी (Fistulotomy)
  • *फिस्टुलेक्टोमी (Fistulectomy)
  • *एंडोरेक्टल/एनल एडवांसमेंट फ्लैप्स
  • सीटोन (Endorectal/anal flaps seton)
  • *क्षारसूत्र
  • *फाइबरीन ग्लू (Fibrin glue)
  • *एएफपी- एनल फिस्टुला प्लग (AFP -Anal Fistula Plug)
  • *लिफ्ट मैथड (LIFT Method)
  • *वाफ्ट मैथड (VAFT Method)
  • *लेजर (LASER)
  • *परफेक्ट (PERFACT)
  • *फिक्सिजन (Fixcision)
  • *ट्रोपिस (TROPIS)
  • *फिस्टुलेक्टोमी विथ प्राइमरी स्फिंकटर रिपेयरिंग (Fistolectomy with primary sphincter repairing)

फिस्टुला उपचार के साथ दो मुख्य जोखिम हैं। पहला असंयम – incontinence (मल प्रक्रिया पर नियंत्रण खोना) और दूसरा पुनरावृत्ति – recurrence (फिस्टुला के दुबारा होने का खतरा)। ये दो जोखिम जटिल फिस्टुला में बहुत अधिक हो जाते हैं। पुनरावृत्ति दर 50 से 80 फ़ीसदी तक पहुंच सकती है, अगर उनका इलाज किसी जनरल सर्जन द्वारा किया जाता है। जबकि फिस्टुला विशेषज्ञ चिकित्सक स्फिंक्टर-मांसपेशियों को काटे या नुकसान पहुंचाए बिना जटिल फिस्टुला को ठीक कर सकते हैं। इसलिए विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा इलाज कराने पर मल प्रक्रिया पर नियंत्रण खोने और दुबारा होने की संभावना भी काफी कम होती हैं । सामान्य फिस्टुला के लिए, फिस्टुलोटॉमी को पसंदीदा ऑपरेशन माना जाता है। हालांकि, उच्च व जटिल फिस्टुला के मामलो में स्फिंक्टर को बचाना भी महत्वपूर्ण होता है। इस तरह के जोखिम वाले फिस्टुला के इलाज में लिफ़्ट (LIFT) व ट्रोपीस (Tropis) पद्धति से बेहतर नतीजे मिलते हैं।

फिस्टुलेक्टोमी या फिस्टुलोटॉमी कैसे किया जाता है? इस प्रक्रिया के फायदे और नुकसान क्या हैं?

फिस्टुला के इलाज की सभी विधियों में सबसे पुराना और सबसे अच्छा अध्ययन इन्हीं दो पद्धतियों पर किया गया है। फिस्टुलोटॉमी पद्धति से सर्जरी में फिस्टुला ट्रैक्ट को खुला रखा जाता है व फिस्टुलेक्टोमी पद्धति में फिस्टुला ट्रैक्ट को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया जाता है। सर्जरी के बाद घाव को अपने आप ठीक होने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। इस तरह से दुबारा होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है। यह सामान्य फिस्टुला के इलाज के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है। लेकिन उच्च फिस्टुला के लिए इलाज की इस पद्धति को विश्वसनीय नहीं माना जाता है। क्योंकि यदि यह प्रक्रिया उच्च फिस्टुला में की जाती है तो मल असंयम (incontinence) का जोखिम अधिक रहता है। विशेषज्ञ चिकित्सक डा. गर्ग बताते हैं कि यदि रोगी का चयन उचित रूप से किया जाए, तो फिस्टुलोटॉमी पद्धति से इलाज के बेहतर नतीजे मिलते हैं। मालूम हो कि डॉ गर्ग ने फिस्टुला के इलाज के विभिन्न तरीकों का गहनता से अध्ययन किया है। डा. गर्ग के शोध पत्र संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में बड़ी श्रृंखला के रूप में प्रकाशित किए गए हैं।1-2 उन्होंने फिस्टुलोटॉमी की प्रक्रिया में काफी शोध के बाद इसके एक नए स्वरूप का भी ईजाद किया है। जिसे क्रॉस फिस्टुलोटॉमी (Cross Fistulotomy) के नाम से जाना जाता है।3 जिसने इस प्रक्रिया की सुरक्षा और सफलता दर में काफी वृद्धि की है। डा. गर्ग के क्रॉस फिस्टुलोटॉमी प्रक्रिया से अब करीब 99% तक सफलता दर हासिल की जा सकती है।

References

1. Garg Pankaj. Is fistulotomy still the gold standard in present era and is it highly underutilized?: An audit of 675 operated cases. Int J Surg 2018; 56: 26-30 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

2. Garg Pankaj, Kaur B, Goyal A, Yagnik VD, Dawka S, Menon GR. Lessons learned from an audit of 1250 anal fistula patients operated at a single center: A retrospective review. World J Gastrointest Surg 2021; 13(4): 340-354 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )

3. Garg Pankaj. Standardizing the Steps of Fistulotomy to Maximize the Cure Rate and Minimize Incontinence Risk in Anal Fistula. Indian Journal of Surgery 2020; 82(6): 1325-1326 ( Click here for DOI )

फिस्टुला के इलाज में लिफ्ट (इंटरसफिंक्टेरिक फिस्टुला ट्रैक्ट का बंधन) – LIFT (Ligation of Intersphincteric Fistula Tract) प्रक्रिया क्या है? इस प्रक्रिया के फायदे और नुकसान क्या हैं?

लिफ्ट प्रक्रिया में, स्फिंक्टर की मांसपेशियों को विभाजित नहीं किया जाता है। एक चीरा (cut) दिया जाता है और दो एनल स्फिंक्टर्स के बीच एक प्लेन विकसित किया जाता है और दो स्फिंक्टर मांसपेशियों के बीच से गुजरने वाले फिस्टुला ट्रैक्ट को अलग किया जाता है। स्फिंक्टर्स के बीच फिस्टुला ट्रैक्ट का यह हिस्सा बांध दिया जाता है और काट कर निकाल दिया जाता है। इसके बाद स्फिंक्टर्स के बाहर फिस्टुला ट्रैक्ट के हिस्से को ठीक किया जाता है। बाद में इसे साफ कर खुला छोड़ दिया जाता है, ताकि यह स्वतंत्र रूप से निकल सके और ठीक हो सके। लिफ्ट प्रक्रिया ने उच्च फिस्टुला में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं और जटिल फिस्टुला के इलाज में यह काफी कारगर होता है। पहले के कई अध्ययनों में इस पद्धति से इलाज में 75 – 88% फ़ीसदी सफलता दर दिखाया जाता रहा है। हालांकि नए अध्ययन के अनुसार लिफ्ट की इलाज दर 40-50% के बीच पाया गया है।1 इसका एक कारण यह है कि लिफ्ट तकनीकी रूप से काफी कठिन है और इस प्रक्रिया को सभी सर्जन बेहतर तरीके से नहीं कर पाते हैं। फिस्टुला के इलाज में विश्वस्तर पर कीर्तिमान बनाने वाले नामचीन चिकित्सक डा. पंकज गर्ग बताते हैं कि TROPIS (इंटरस्फिंक्टेरिक स्पेस का ट्रांसएनल ओपनिंग) प्रक्रिया से LIFT प्रक्रिया की तुलना में बेहतर इलाज दर प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए वे खुद जटिल फिस्टुला के मामलों में TROPIS प्रक्रिया को ज्यादा तरजीह देते हैं।2,3

B and C
References

  1. Jayne DG, Scholefield J, Tolan D, Gray R, Senapati A, Hulme CT, Sutton AJ, Handley K, Hewitt CA, Kaur M, Magill L, Group FTC. A Multicenter Randomized Controlled Trial Comparing Safety, Efficacy, and Cost-effectiveness of the Surgisis Anal Fistula Plug Versus Surgeon’s Preference for Transsphincteric Fistula-in-Ano: The FIAT Trial. Ann Surg 2021; 273(3): 433-441 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )
  2. Huang H, Ji L, Gu Y, Li Y, Xu S. Efficacy and Safety of Sphincter-Preserving Surgery in the Treatment of Complex Anal Fistula: A Network Meta-Analysis. Front Surg 2022; 9: 825166 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )
  3. Garg Pankaj. Comparison between recent sphincter-sparing procedures for complex anal fistulas-ligation of intersphincteric tract vs transanal opening of intersphincteric space. World J Gastrointest Surg 2022; 14(5):374-382 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

TROPIS (इंटर सफिंक्टेरिक स्पेस का ट्रांसनल ओपनिंग – Transanal Opening of Intersphincteric Space) प्रक्रिया क्या है?

TROPIS प्रक्रिया में, इंटरस्फिंक्टेरिक स्पेस में फिस्टुला ट्रैक्ट को गुदा के अंदर खोल दिया जाता है। और घाव को चिपकने नहीं दिया जाता है और उसे प्राकृतिक तरीक़े से ठीक होने दिया जाता है।1 इसके कारण, ट्रोपिस की उपचार और इलाज दर 90% से ऊपर है और उच्च जटिल फिस्टुला में उपलब्ध सभी शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में से सबसे अच्छा बताया गया है।2 TROPIS प्रक्रिया का आविष्कार विख्यात सर्जन डॉ. पंकज गर्ग द्वारा 2015 में किया गया था और पहली बार 2017 में यूके की एक शीर्ष पत्रिका, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सर्जरी में प्रकाशित हुआ था।3,6 इसके बाद, TROPIS के इस उच्च इलाज दर की, डॉ गर्ग और दुनिया भर के कई अन्य सर्जिकल केंद्रों द्वारा, जटिल फिस्टुला के सैकड़ों रोगियों में पुष्टि की गई है।1,9

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  1. Huang H, Ji L, Gu Y, Li Y, Xu S. Efficacy and Safety of Sphincter-Preserving Surgery in the Treatment of Complex Anal Fistula: A Network Meta-Analysis. Front Surg 2022; 9: 825166 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )
  2. Garg P. Transanal opening of intersphincteric space (TROPIS) – A new procedure to treat high complex anal fistula. Int J Surg 2017; 40: 130-134 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )
  3. Garg P, Kaur B, Menon GR. Transanal opening of the intersphincteric space: a novel sphincter-sparing procedure to treat 325 high complex anal fistulas with long-term follow-up. Colorectal Dis 2021; 23(5): 1213-1224 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )
  4. Garg Pankaj, Kaur B, Goyal A, Yagnik VD, Dawka S, Menon GR. Lessons learned from an audit of 1250 anal fistula patients operated at a single center: A retrospective review. World J GastrointestSurg2021; 13(4): 340-354 ( Click here for PubMed, Click here for NCBI, Click here for DOI )
  5. Li YB, Chen JH, Wang MD, Fu J, Zhou BC, Li DG, Zeng HQ, Pang LM. Transanal Opening of Intersphincteric Space for Fistula-in-Ano. Am Surg 2021: 3134821989048 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )
  6. Huang B, Wang X, Zhou D, Chen S, Li B, Wang Y, Tai J. Treating highly complex anal fistula with a new method of combined intraoperative endoanal ultrasonography (IOEAUS) and transanal opening of intersphincteric space (TROPIS). Videosurgery Miniinv 2021; 16(1): 697-703 ( Click here for DOI )
  7. Garg Pankaj. Comparison between recent sphincter-sparing procedures for complex anal fistulas-ligation of intersphincteric tract vs transanal opening of intersphincteric space. World J Gastrointest Surg 2022; 14(5):374-382 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

फिस्टुला के इलाज में लेजर प्रक्रिया क्या है? जटिल फिस्टुला में LASER प्रक्रिया की उपचार दर क्या है?

लेजर, प्रकाश की एक केंद्रित किरण है जो ऊतकों (tissues) को काटने में अधिक सटीक है। लगभग पिछले 10 वर्षों से फिस्टुला के इलाज में इसका उपयोग किया जा रहा है। इसे जटिल फिस्टुला में, स्फिंक्टर बचाने की प्रक्रिया के रूप में विकसित किया गया था। हालांकि, प्रकाशित अधिकांश अध्ययनों में लेज़र का इस्तेमाल साधारण फिस्टुला के लिए किया गया है। विभिन्न अध्ययनों में 60-70% के बीच लेजर प्रक्रिया की इलाज दर को दिखाया गया है।1 लेकिन, दुर्भाग्य से, इन अध्ययनों में अधिकांश रोगियों में साधारण फिस्टुला थे। जबकि जटिल फिस्टुला में, इलाज की दर कम होने की बात कही जाती है। इसका कारण है कि यह प्रक्रिया लेजर फाइबर के साथ बाहरी फिस्टुला ट्रैक्ट को ठीक करने पर केंद्रित है, लेकिन गुदा में फिस्टुला के आंतरिक छिद्र (internal opening) के लिए प्रभावी ढंग से या अलग तरीके से कुछ भी नहीं किया जाता है (जो कि फिस्टुला का मूल कारण है)।

References

  1. Elfeki H, Shalaby M, Emile SH, Sakr A, Mikael M, Lundby L. A systematic review and meta-analysis of the safety and efficacy of fistula laser closure. Tech Coloproctol 2020; 24(4): 265-274 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

VAAFT (वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट- Video Assisted Anal Fistula Treatment) प्रक्रिया क्या है?

VAAFT में, दो चरण होते हैं- ​​डायग्नोस्टिक चरण और उपचार चरण।
डायग्नोस्टिक चरण में, एक वीडियो-एंडोस्कोप कैमरा सिस्टम (video-endoscope camera system) का उपयोग किया जाता है ताकि फिस्टुला ट्रैक्ट को कैमरा/टीवी स्क्रीन पर देखा जा सके। यह फिस्टुला लाइनिंग को देखने और फिस्टुला की शाखाओं का पता लगाने में भी मदद करता है। जबकि उपचार के चरण में, फिस्टुला ट्रैक्ट लाइनिंग को इलेक्ट्रोकोएग्यूलेशन के साथ नष्ट कर दिया जाता है। हालांकि सुनने में भले ही आधुनिक गैजेट का उपयोग और फिस्टुला ट्रैक्ट का लाइव निरीक्षण आकर्षक लगता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से, यह सब फिस्टुला के इलाज दर में, किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं करता है।

VAAFT के डायग्नोस्टिक ​​चरण में जो भी अतिरिक्त जानकारी प्राप्त होती है, उससे ज्यादा जानकारी रोगी को छुए बिना प्रीऑपरेटिव MRI द्वारा प्राप्त की जा सकती है। LASER की तरह, VAAFT प्रक्रिया भी इलेक्ट्रोक्यूटरी के साथ बाहरी फिस्टुला ट्रैक्स को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित करती है। लेकिन गुदा में फिस्टुला के आंतरिक छिद्र उपचार के लिए प्रभावी या अलग तरीके से कुछ भी नहीं किया जाता है। जबकि फिस्टुला का मूल कारण यही आंतरिक छिद्र होता है। यही कारण है कि साधारण फिस्टुला में इस प्रक्रिया की इलाज दर 50-70 फीसदी रही है।1 जबकि उच्च जटिल फिस्टुला के मामलो में VAFFT की इलाज दर अब भी अज्ञात है। यहां बताना जरूरी है कि साधारण फिस्टुला में, फिस्टुलोटॉमी 97-99% की इलाज दर प्रदान करता है।
References

  1. Garg P, Singh P. Video-Assisted Anal Fistula Treatment (VAAFT) in Cryptoglandular fistula-in-ano: A systematic review and proportional meta-analysis. Int J Surg 2017; 46: 85-91 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

क्या हमें फिस्टुला के लिए LASER या VAAFT प्रक्रिया अपनानी चाहिए?

गैजेट-आधारित प्रक्रियाओं जैसे LASER, VAAFT आदि में समझने की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि ये गैजेट (LASER मशीन, VAAFT उपकरण) बहुत महंगे होते हैं और इन्हें बनाने वाली कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाती हैं। यह दिखाने के लिए कि ये प्रक्रियाएं सबसे सरल, सबसे सुरक्षित और बाजार में उपलब्ध सर्वोत्तम प्रक्रियाएं हैं, बहुत सारे विज्ञापनों के साथ मीडिया के तमाम तंत्रों का उपयोग कर गहन प्रचार किया जाता है। रोगियों को यह भ्रम दिलाया जाता है कि ये गैजेट ‘असाधारण’ हैं और उनके फिस्टुला को ‘जादू’ की तरह ठीक कर देंगे, भले ही उनका फिस्टुला सरल हो या जटिल। जो सर्जन भारी निवेश करते हैं और इन महंगे गैजेट्स को खरीदते हैं, वे भी इन गैजेट्स को जनता के सामने विज्ञापित करने के चक्कर में पड़ जाते हैं। ऐसे में फिस्टुला से पीड़ित रोगी भी विज्ञापन के इस भंवरजाल में फंस जाते हैं। फिस्टुला विशेषज्ञ डा. पंकज गर्ग बताते हैं कि फिस्टुला के इलाज में गैजेट से ज्यादा महत्वपूर्ण, इसे इस्तेमाल करने वाले सर्जन की विशेषज्ञता व कौशल होते हैं। एक लेजर मशीन के साथ एक अनुभवहीन सर्जन स्फिंक्टर की मांसपेशियों को काट सकता है और निरंतरता के नुकसान (loss of continence) का कारण बन सकता है। यह ठीक ऐसे ही है जैसे किसी बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिया जाए। क्या नीरज चोपड़ा (2020 में भाला फेंक में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता) की भाला किसी भी सामान्य व्यक्ति को देना ओलंपिक में पदक सुनिश्चित कर सकता है? नहीं ना। इसलिए, गैजेट या उपकरण महत्वपूर्ण हैं लेकिन उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण वह विशेषज्ञ है जो उस गैजेट को संभाल रहा है। पैसे से कोई भी गैजेट खरीद सकता है लेकिन कौशल को कठिन तरीके से अर्जित किया जाता है। अनुभवहीन सर्जन अपनी विशेषज्ञता के बजाय गैजेट का प्रचार करते हैं। इसलिए, गैजेट्स के चक्कर में न पड़ें बल्कि हमेशा सर्जन की विशेषज्ञता पर ध्यान दें (एनल फिस्टुला के क्षेत्र में सर्जन के पास कितना अनुभव है, सर्जन ने कौन सा मूल काम किया है, सर्जन ने कितने जटिल फिस्टुला का सफलतापूर्वक इलाज किया है)। ये तथ्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।

क्षारसूत्र या सेटॉन उपचार क्या है?

Anal Fistula Plug

क्षारसूत्र एक पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार था। जिसमें क्षर (क्षार आधारित रसायन) लेपित धागे को ढीला रूप से फिस्टुला ट्रैक्ट में डाला जाता था। क्षर (रासायनिक) की रासायनिक प्रतिक्रिया से फिस्टुला ट्रैक्ट के अंदर फाइब्रोसिस होता था और ट्रैक्ट बंद हो जाता था। इसमें समझने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि पारंपरिक क्षारसूत्र में, रासायनिक-लेपित धागे को ढीला रूप से डाला जाता था। इस कारण से यह विधि सुरक्षित मानी जाती थी। क्योंकि ढीला होने के कारण इससे आंत्र गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशी के कटने अथवा क्षतिग्रस्त होने का खतरा काफी कम रहता था। जबकि अब मूल ढीले क्षारसूत्र की विशेषज्ञता दुर्लभ है।
दुर्भाग्य से, क्षारसूत्र की आड़ में, अधिकांश सर्जन और आयुर्वेदिक डॉक्टर टाइट कटिंग सेटॉन / क्षारसूत्र प्रक्रियाएं कर रहे हैं। यह प्रक्रिया (टाइट कटिंग सेटॉन / क्षारसूत्र) तभी सुरक्षित हैं जब इसे सरल फिस्टुला में किया जाता है। क्योंकि इसमें ज्यादा स्फिंक्टर मांसपेशी शामिल नहीं होती हैं। हालांकि, अगर उच्च जटिल फिस्टुला में टाइट कटिंग सेटॉन / क्षारसूत्र प्रक्रिया की जाती है, तो यह भयावह हो सकता है। यह न केवल बेहद दर्दनाक होता है बल्कि कई मामलों में यह असंयम (मल त्याग पर नियंत्रण का नुकसान) का कारण बनता है। इसलिए किसी भी टाइट कटिंग सेटॉन / क्षारसूत्र प्रक्रिया को शुरू करने से पहले, एमआरआई द्वारा फिस्टुला का उचित मूल्यांकन किया जाना जरूरी है , ताकि यह देखा जा सके कि फिस्टुला उच्च या निम्न है। यदि फिस्टुला ऊंचा है तो हर कीमत पर क्षारसूत्र या कटिंग सेटॉन से बचा जाना चाहिए।

References

  1. Garg P, Song J, Bhatia A, Kalia H, Menon GR. The efficacy of anal fistula plug in fistula-in-ano: a systematic review. Colorectal Dis 2010; 12(10): 965-970 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )
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फिस्टुला के क्षेत्र में डॉ. पंकज गर्ग का क्या योगदान है? क्या डॉ. गर्ग ने एनल फिस्टुला के क्षेत्र में अधिकतम काम किया है और दुनिया में सबसे पहले फिस्टुला विशेषज्ञ के रूप में पहचाने जाते हैं? यदि हां, तो क्यों ?

Dr. Garg Is Ranked Number -1 In the Field of Anal Fistulas in The World

दुनिया में एनल फिस्टुला के इलाज के क्षेत्र में डॉ. गर्ग को नंबर एक का दर्जा दिया गया है।

डॉ. गर्ग शोधकर्ता के साथ-साथ चिकित्सक भी हैं। उन्होंने दुनिया में एनल फिस्टुला के क्षेत्र में सबसे अधिक काम किया है। यही कारण है कि आज वे दुनिया में निर्विवाद रूप से नंबर एक फिस्टुला विशेषज्ञ माने जाते हैं। भगंदर एक खराब रोग है जो इसके पुनरावर्तन (recurrence) के लिए जाना जाता है (यह रोग बार-बार वापस आता रहता है)। इसके इलाज में डॉ. गर्ग की सफलता दर दुनिया में सबसे अच्छी है। उन्होंने दुनिया में सबसे ज्यादा शोध इस बीमारी पर किए हैं। देश में बहुत कम डॉक्टर होंगे जो अपने क्षेत्र में दुनिया में नंबर वन होंगे। आज डा. गर्ग के पास दुनिया के अलग-अलग देशों से भारी तादाद में फिस्टुला से पीड़ित रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि डा. गर्ग ने अपने काम के क्षेत्र में शून्य अनुसंधान बजट व बिना किसी सरकारी अनुदान के, बड़े बड़े देशों के विशेषज्ञों को पीछे छोड़ दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञ भी डा. गर्ग द्वारा ईजाद किए गए विभिन्न प्रणालियों को अपनाकर फिस्टुला का इलाज कर रहे हैं। विभिन्न जगहों पर इलाज कराकर हार गए रोगियों के लिए डा. गर्ग आज आशा की किरण बन कर उभरे हैं।

Dr. Garg for a prestigious award
फिस्टुला एक ऐसी बीमारी है जिसने सदियों से मानव जाति को परेशान किया है। इतनी गंभीर बीमारी होने के बावजूद भी दुनिया भर के चिकित्सकों ने अब तक इस पर काफी कम शोध किया है। ऐसे समय में निराशा के इस लंबे दौर से बाहर निकालने के लिए डा. पंकज गर्ग आशा की नई किरण बनकर उभरे हैं। डा गर्ग आज जटिल फिस्टुला वाले रोगियों के लिए जीवनदायी साबित हो रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान से जुड़े लोग जहां सदियों से इस बीमारी के प्रति उदासीन बने रहे। वही डॉक्टर गर्ग ने मानवजाति के लिए अभिशाप बन गई इस बीमारी को चुनौती के रूप में लिया और बिना किसी सरकारी अनुदान के अपने खुद के संसाधनों के बदौलत फिस्टुला पर गहन शोध किया व इसके इलाज के कई नायाब तरीके ईजाद किए। इलाज की उनकी सभी प्रणालियां परंपरागत प्रणालियों से न सिर्फ कम कष्टदायक है अपितु सफलता दर भी अप्रत्याशित रूप से काफी अधिक है। मृदु व्यवहार के स्वामी डा गर्ग अपने इलाज व व्यवहार से आज दुनियाभर में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। एक तरफ जहां दूसरी बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए भारत के लोगों को दूसरे विकसित देशों का रुख करना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ आज डा गर्ग के पास दुनिया भर के मरीज फिस्टुला के इलाज के लिए पंचकुला सेक्टर 15 स्थित उनके संस्थान में पहुंच रहे हैं। उनके संस्थान में आने वाले मरीजों में अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित देशों के मरीज भी शामिल हैं। फिस्टुला के बारे में डा गर्ग द्वारा लिखे गए शोध पत्र दुनियाभर के प्रतिष्ठित रिसर्च पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। उन्होंने दुनिया में एनल फिस्टुला के क्षेत्र में सबसे अधिक काम किया है। यही कारण है कि आज वे दुनिया में निर्विवाद रूप से नंबर एक फिस्टुला विशेषज्ञ माने जाते हैं।

A brief about the work of Dr Garg in the field of Anal fistulas is as follows: –

  1. Largest series of anal fistula in medical literature (1250 patients)[1]
  2. Largest series of exclusive complex high fistulas with long-term follow-up (408 patients)[1, 2]
  3. Largest series of Supralevator fistulas with long-term follow-up (129 patients)[1, 3]
  4. Largest series of Preoperative and Postoperative MRI in anal fistulas (2404 MRI)[4-6]
  5. Largest series of Anorectal Tuberculosis (776 patients, 1336 samples)[7-9]
  6. Largest series of fistulotomy to treat anal fistulas (611 patients)[1, 10, 11]
  7. New useful Classification of Anal Fistula (Garg classification)[12-14]
  8. Cardinal Principles to treat Complex Anal Fistula (Garg cardinal principles)[15-17]
  9. New Protocol to treat Anal fistula with No obvious internal opening (Garg protocol) [18, 19]
  10. Guidelines to interpret MRI in postoperative period after fistula surgery[4]
  11. A new anatomical space where fistula spreads (Outersphincteric of Garg space)[20, 21]
  12. A new type of highly complex fistula (RIFIL fistulas)[22]
  13. A new parameter-HOPE- as a parameter in MRI reporting of anal fistulas[23]
  14. Innovation of TROPIS Procedure- Highly effective to treat high complex and supralevator fistulas (healing rate>90% over long-term)[2, 24]
  15. Innovation of Tube in tract and PERFACT procedures for anal fistula[25-27]
  16. Management of circumrectal fistulas (completely encircling the anorectum)[28]
  17. Management of additional supralevator rectal opening in supralevator fistulas[29]
  18. First Proportional meta-analysis on VAAFT and anal fistula plug[30, 31]
  19. IRIP (inability to raise intraabdominal pressure) phenomenon as a cause of urinary retention after fistula surgery[32]
  20. First series of Anal Fistula and Pilonidal Sinus Disease coexisting simultaneously[33]
  21. First paper to objectively demonstrate role of MRI to confirm long-term healing in complex high cryptoglandular anal fistulas (151 cases)[34]
  22. First Guidelines on postoperative MRI in patients operated for cryptoglandular anal fistula (2404 MRI)[4]
  23. A new scoring system to accurately predict long-term healing in cyrptoglandular fistulas[35, 36]

References

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4. Garg P, Kaur B, Yagnik VD, Dawka S, Menon GR. Guidelines on postoperative magnetic resonance imaging in patients operated for cryptoglandular anal fistula: Experience from 2404 scans. World J Gastroenterol 2021; 27(33): 5460-5473 [PMID: 34588745 PMCID: PMC8433608 DOI: 10.3748/wjg.v27.i33.5460] ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

5. Garg P. Comparison of Preoperative and Postoperative MRI After Fistula-in-Ano Surgery: Lessons Learnt from An Audit of 1323 MRI At a Single Centre. World J Surg 2019; 43(6): 1612-1622 ( Click here for PubMed, Click here for DOI )

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